शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

लफ्ज़ सीते हैं

गम किया , न गुमान किया
यही तरीका है जीने का , जिसने आराम दिया

चाहा कि गम से दूरी बरकरार रहे
ये वो शय है हर कदम , जिसका दीदार किया

हम खलिश को भी रखते हैं अपनी निगरानी में
सुनते हैं कई बार वजूद इसने भी तार-तार किया

सहलाता है कभी वक़्त भी थपकियाँ दे-दे कर
घूँट भरते हैं सुकूँ के , हमने भी इंतज़ार किया

आँखें बन्द होती हैं सुकूँ में ,गुमाँ में भी
ये ठँडा रखता है ,गुमाँ की गर्मी ने बवाल किया

हम खलिश को भी देते हैं पैरहन
कलम लिखती है ,लफ्ज़ सीते हैं , अपने सीने से गम उतार दिया

11 टिप्‍पणियां:

Apanatva ने कहा…

सहलाता है कभी वक़्त भी थपकियाँ दे दे कर
घूँट भरते हैं सुकूँ के , हमने भी इंतज़ार किया

bahut sunder panktiya.............
pooree gazal acchee lagee .

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

शारदा जी, आदाब
.........हम खलिश को भी रखते हैं अपनी निगरानी में....
..........सहलाता है कभी वक़्त भी थपकियाँ दे दे कर.....
अपना गहरे अर्थ ..खुद में समेटे हुए है..हर शब्द

अजय कुमार ने कहा…

न गम किया , न गुमान किया
यही तरीका है जीने का , जिसने आराम दिया

सार्थक सोच

कविता रावत ने कहा…

हम खलिश को भी देते हैं पैराहन
कलम लिखती है लफ्ज़ सीते हैं , अपने सीने से गम उतार दिया
Gahri Bhavpurn rachna ke liye badhai..

shama ने कहा…

हम खलिश को भी देते हैं पैराहन
कलम लिखती है लफ्ज़ सीते हैं , अपने सीने से गम उतार दिया
Jeeneka fan bakhoobi bata diya!

Neeraj Kumar ने कहा…

क्या कहूँ, क्या क्या लिखूं! बहुत ही सुन्दर और सटीक........

Apanatva ने कहा…

marg darshan ke liye dhanyvad ............
bhavishy me bhee sneh banae rakhiyega.........aise hee..........

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

bahut umda abhivyakti.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

अच्छे भाव.

Apanatva ने कहा…

Happy holi.......

Neeraj Kumar ने कहा…

आपको होली की अनेकानेक शुभकामनायें...