सोमवार, 10 मई 2010

मन के अँगना में फलक तन्हा है

जिन्दगी तुझको जब भी देखा मैंने
इक मुखौटे को तेरे हाथ से छीना मैंने 


मन के अँगना में फलक तन्हा है
चाँद सूरज की तरह उनको उतारा मैंने


मुड़ के देखा नहीं कभी पीछे
जिन्दगी तुझसे बहुत प्यार किया है मैंने

साथ देती नहीं परछाई भी
फिर भी हर लम्हा ऐतबार किया है मैंने

हर बहाना तेरा सर माथे पर
हर मोड़ पे इन्तिज़ार किया है मैंने


बिखरूंगी तो बिखर जायेंगे वो टुकड़े
लम्बे हाथों से जिगर में जिनको रक्खा
मैंने

14 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत ही उम्दा व लाजवाब ।

फ़िरदौस ख़ान ने कहा…

मन के अँगना में फलक तन्हा है
चाँद सूरज की तरह उनको उतारा मैंने

बहुत ख़ूब...

Apanatva ने कहा…

bahut sunder......

Udan Tashtari ने कहा…

बिखरूंगी तो बिखर जायेंगे वो टुकड़े
लम्बे हाथों से जिगर में जिनको रक्खा मैने\


-बहुत सुन्दर!

दिलीप ने कहा…

bahut khoob ...

दिनेश शर्मा ने कहा…

साथ देती नहीं परछाई भी
फिर भी हर लम्हा ऐतबार किया है मैंने।
बहुत खूब!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मुड़ के देखा नहीं कभी पीछे
जिन्दगी तुझसे बहुत प्यार किया है मैंने

साथ देती नहीं परछाई भी
फिर भी हर लम्हा ऐतबार किया है मैंने

In dono sheron mein jeevan ka saty nichod diya hai aapne ... bahut hi lajawaab ..

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

जिंदगी की धूंप-छाँव से सजी शानदार गजल।
--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

मन के अँगना में फलक तन्हा है
चाँद सूरज की तरह उनको उतारा मैंने...
उम्दा शेर.....मुबारकबाद.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

हर बहाना तेरा सर माथे पर
हर मोड़ पे इन्तिज़ार किया है मैंने

वाह शारदा जी...बहुत अच्छी रचना है...लिखती रहें...
नीरज

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Mohtarma,
Bahut acchha likhtee hain aap!
Badhai sweekar karein!

स्वाति ने कहा…

साथ देती नहीं परछाई भी
फिर भी हर लम्हा ऐतबार किया है मैंने

हर बहाना तेरा सर माथे पर
हर मोड़ पे इन्तिज़ार किया है मैंने

वाह वाह! धन्यवाद शारदा जी
आपकी बताई युक्ति काम कर गयी और मैं टिपण्णी देने में कामयाब हो पाई ..
बहुत ही गहरे और दिल को छूने वाले भाव है कविता में ,आपसे मैं बहुत ही प्रभावित हु ..

अर्चना तिवारी ने कहा…

बहुत अच्छी रचना

Parul kanani ने कहा…

bahut hi sundar!