दिल है तो कोई
गुलाब माँगे
धड़कने के बहाने
कोई ख़्वाब माँगे
आग के दरिया से
चुल्लू भर चनाब माँगे
इबारतें लिखने को
ज़ज्बा-ए-जुनूँ बेहिसाब माँगे
वक्त सदियों से
हिसाब माँगे
साहिल पे कच्चा घड़ा है
महिवाल जवाब माँगे
दिल है तो जाने
क्या क्या जनाब माँगे
गुलाब माँगे
धड़कने के बहाने
कोई ख़्वाब माँगे
आग के दरिया से
चुल्लू भर चनाब माँगे
इबारतें लिखने को
ज़ज्बा-ए-जुनूँ बेहिसाब माँगे
वक्त सदियों से
हिसाब माँगे
साहिल पे कच्चा घड़ा है
महिवाल जवाब माँगे
दिल है तो जाने
क्या क्या जनाब माँगे




9 टिप्पणियां:
आग के दरिया से
चुल्लू भर चनाब माँगे
इबारतें लिखने को
ज़ज्बा-ए-जुनूँ बेहिसाब माँगे
वक्त सदियों से
हिसाब माँगे
Gazab kee panktiyan hain!
वाह शारदा जी बहुत ही मनमोहक रचना ……………बहुत पसन्द आई।
इबारतें लिखने को
ज़ज्बा-ए-जुनूँ बेहिसाब माँगे
बहुत खूब ..अच्छी गज़ल
सुन्दर रचना...
सादर...
इबारतें लिखने को
ज़ज्बा-ए-जुनूँ बेहिसाब माँगे
वाह,अच्छी है !
वाह ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
bahut khoobsurat prastuti, badhai.
सवल ही लाजवाब हैं तो जवाब तो मांगेगें ही ...
लाजवाब प्रस्तुति
अच्छी गज़ल| बेहतरीन प्रस्तुति|
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