शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

रँग होता तो बिखरता भी

रँग होता तो बिखरता भी
जुनूँ होता तो झलकता भी

आओ कोई तो बात करें
गुफ्तगू में वक्त गुजरता भी

नजदीकियों की कहें
करीब हो जो , झगड़ता भी

मजबूर है आदत से परिन्दा
आसमाँ का हाथ पकड़ता भी

आफ़ताब दूर सही
धरती पर कोई चमकता भी

बहाने लाख करे
पहलू में दिल धड़कता भी

रूप दुगना होता
इश्क मय सा छलकता भी

रँग होता तो बिखरता भी
जुनूँ होता तो झलकता भी



यहाँ सुन सकते हैं ....
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14 टिप्‍पणियां:

Pallavi saxena ने कहा…

नजदीकियों की कहें
करीब हो जो , झगड़ता भी

मजबूर है आदत से परिन्दा
आसमाँ का हाथ पकड़ता भी

आफ़ताब दूर सही
धरती पर कोई चमकता भी

बहाने लाख करे
पहलू में दिल धड़कता भी
बहुत ही सुंदर एवं बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

vandana gupta ने कहा…

रँग होता तो बिखरता भी
जुनूँ होता तो झलकता भी
वाह क्या बात कही है शारदा जी…………शानदार गज़ल

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

wah!! shardajee!!

M VERMA ने कहा…

बहुत सुन्दर गज़ल

Amit Chandra ने कहा…

वाह क्या शानदार गज़ल कही है आपने. एक एक शब्द जैसे कुछ कहने को बेताब हो रहे हो.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत गज़ल ..

वाणी गीत ने कहा…

ये होता तो वो होता भी !
सच ही !

आकर्षण गिरि ने कहा…

रँग होता तो बिखरता भी
जुनूँ होता तो झलकता भी

Behatareen...

Santosh Kumar ने कहा…

बहुत सुन्दर गज़ल.

दीवाली की शुभकामनायें!!

कभी मेरे ब्लॉग पर आयें, आपका स्वागत है.
www.belovedlife-santosh.blogspot.com

mark rai ने कहा…

बेहतरीन प्रस्‍तुति की बधाई ।

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

बेहतरीन गज़ल.

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

बेटी बचाओ - दीवाली मनाओ.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

बेहतरीन रचना

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बहुत सुंदर रचना शारदा जी .....

दीपावली की शुभकामनाएं ......