शनिवार, 22 दिसंबर 2012

हाथ में रुमाल ही सही

सफ़र में कोई आड़ ही सही 
टिमटिमाती लौ की सँभाल ही सही 

चढ़ा जो आसमाँ में है 
अपना ख्याल ही सही 

मन लगाने के लिए 
किसी राग का धमाल ही सही 

हो आँख में आँसू तो 
हाथ में रुमाल ही सही 

न हुई ईद तो क्या 
रोज़े की मिसाल ही सही 

मिटा डालेगी नमी अपनी 
बार बार सवाल ही सही 

10 टिप्‍पणियां:

Sunil Kumar ने कहा…

bahut khoob...

SANDEEP PANWAR ने कहा…

बहुत अच्छे शब्द

बेनामी ने कहा…

शानदार लेखन, बधाई !!!

Vandana Ramasingh ने कहा…

चढ़ा जो आसमाँ में है
अपना ख्याल ही सही

वाह

रचना दीक्षित ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

न हुई ईद तो क्या
रोज़े की मिसाल ही सही ..

बहुत खूब ... सच है मिसाल तो बनता ही है चाँद ... अलग से भाव लिएर सुन्दर शेर हैं सभी ...

Alpana Verma ने कहा…

चढ़ा जो आसमाँ में है
अपना ख्याल ही सही !
वाह! बहुत खूब लिखा है.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत सुन्दर,प्यारी रचना..
:-) फुर्सत मिले तो आदत मुस्कुराने की पर ज़रूर आईये

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
शारदा अरोरा ने कहा…

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने आपकी पोस्ट " हाथ में रुमाल ही सही " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:



♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




मन लगाने के लिए
किसी राग का धमाल ही सही

हो आँख में आँसू तो
हाथ में रुमाल ही सही
:)
बहुत ख़ूब !
आदरणीया शारदा अरोरा जी
अच्छा लिखा है ...



नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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ye tippni galti se delete ho gaee thi ....