कभी चंदा से की बातें ,
सुहानी सी मुलाकातें
उतरे फिर वही मौसम
सीने में जगमगाते-जगमगाते
घड़ी दो घड़ी बैठो
के जी जाएँ मुट्ठी भर सौगातें-सौगातें
सुलझ ही जाएगा रिश्ता
जो मन है सुलझाते-सुलझाते
मेरे इक नाम की तख्ती,
मेरी ख़ुशबू ,हिना मेरी
तेरे अँगना को महकाए
तो जी जाते जी जाते




7 टिप्पणियां:
आहा... बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ अगस्त २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुंदर रचना
बहुत सुंदर सृजन
सुन्दर
जगमगाती बातें - बातें !
आप सभी का रचना पसंद करने का बहुत बहुत धन्यवाद
वाह! सुंदर रचना ।
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