सोमवार, 11 अगस्त 2025

चंदा से की बातें

कभी चंदा से की बातें ,

सुहानी सी मुलाकातें 

उतरे फिर वही मौसम  

सीने में जगमगाते-जगमगाते 


घड़ी दो घड़ी बैठो 

के जी जाएँ मुट्ठी भर सौगातें-सौगातें 


सुलझ ही जाएगा रिश्ता 

जो मन है सुलझाते-सुलझाते 


मेरे इक नाम की तख्ती,

मेरी ख़ुशबू ,हिना मेरी

तेरे अँगना को महकाए 

तो जी जाते जी जाते 

7 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

आहा... बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १२ अगस्त २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

हरीश कुमार ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

Bharti Das ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

नूपुरं noopuram ने कहा…

जगमगाती बातें - बातें !

शारदा अरोरा ने कहा…

आप सभी का रचना पसंद करने का बहुत बहुत धन्यवाद

शुभा ने कहा…

वाह! सुंदर रचना ।