गुलाबी गुलाबी रँग अरमानों के
गुलाबी गुलाबी ख्वाब इन्सानों के
१.फूलों की क्यारी में काँटे लाजिमी हैं
गुलाबों के सँग इनकी आशिकी पली है
उलझा दामन तेरा तो क्यों गम है करता
चेहरे पे तेरे वो नूर बन बिखरता
२. बिना किसी धागे के पिरोयेगा कैसे
साँसों की माला के मोती हों जैसे
गुदड़ी में लाल जो तू छुपाये है फिरता
गुलाबी सी रँगत का ख्वाब बन उतरता




9 टिप्पणियां:
जी सही कहा.. कांटे तो गुलाब की रक्षा के लिये ही बनाये गये हैं.. किसी को चुभ जाये तो कांटे का क्या दोष :)
बिना किसी धागे के पिरोयेगा कैसे
साँसों की माला के मोती हों जैसे
गुदड़ी में लाल जो तू छुपाये है फिरता
गुलाबी सी रँगत का ख्वाब बन उतरता
bahut sundar lagin ye panktiyan.
bahut achhi lagi rachana ,sahi kha kr last 4 lines lajawab
आनन्द दायक रचना!
बहुत सुन्दर
१.फूलों की क्यारी में काँटे लाजिमी हैं
गुलाबों के सँग इनकी आशिकी पली है
उलझा दामन तेरा तो क्यों गम है करता
चेहरे पे तेरे वो नूर बन बिखरता
bahut khub likha hai.
वाह ! वाह !
बहुत बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने....पढ़कर मन आनंदित हो गया. वाह !!!
बिना किसी धागे के पिरोयेगा कैसे
साँसों की माला के मोती हो जैसे
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है ....
जीवन-दर्शन की परिभाषा को समझाती हुई कविता ....
बधाई . . . . . .
---मुफलिस---
बहुत सुंदर, अब जो भी इन फ़ूलो से छेड छाड करेगा तो पहले उसे इन कांटॊ से भुगतना पडेगा.
धन्यवाद
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