रविवार, 8 मार्च 2009

इक बोल मेरी ओर

वो जो इक बोल मेरी ओर
तुमने उछाला मानों
लपक के पकड़ा मेरे दिल ने
कोई निवाला जानो

बरसा गया कोई बादल
ठण्डी फुहारें मानो
खिल गये फूल और कलियाँ
आईं बहारें जानो

बिना बोले ही तेरी नजरों ने
उछाले दिलासे मानो
झोली भर ली , छंट गये
सारे कुहासे जानो

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

प्रवाह ठीक लगा।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

kya baat hai, bahut khoob

Unknown ने कहा…

शब्द कुछ कमजोर लगे । पर भाव बहुत खूब । शुभकामनायें

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।

Sanjay Grover ने कहा…

लपक के पकड़ा मेरे दिल ने
कोई निवाला जानो

बिना बोले ही तेरी नजरों ने
उछाले दिलासे मानो

आपका अपना ही अंदाज़ है और अच्छा है।