तुमने उछाला मानों
लपक के पकड़ा मेरे दिल ने
कोई निवाला जानो
बरसा गया कोई बादल
ठण्डी फुहारें मानो
खिल गये फूल और कलियाँ
आईं बहारें जानो
बिना बोले ही तेरी नजरों ने
उछाले दिलासे मानो
झोली भर ली , छंट गये
सारे कुहासे जानो
भारी भरकम लफ्जों की पढ़ाई भी नहीं , गीत गज़लों की गढ़ाई की तालीम भी नहीं , है उम्र की चाँदी और जज्बात के समन्दर की डुबकी, किस्मत लिखने वाले की मेहरबानी , जिन्दगी का सुरूर , चन्द लफ्जों की जुबानी...
5 टिप्पणियां:
प्रवाह ठीक लगा।
kya baat hai, bahut khoob
शब्द कुछ कमजोर लगे । पर भाव बहुत खूब । शुभकामनायें
बहुत सुंदर ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।
लपक के पकड़ा मेरे दिल ने
कोई निवाला जानो
बिना बोले ही तेरी नजरों ने
उछाले दिलासे मानो
आपका अपना ही अंदाज़ है और अच्छा है।
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