रविवार, 30 अगस्त 2009

सुरुरों ने आ लिखा है

मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है

ये बात कह रही है
बरसों से दुनिया सारी
जुनूनों ने आ लिखा है

धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है

जन्मों से चल रहा है
जिसे देख के हैं चलते
उन्हीं रँगों ने आ लिखा है

अपनी खता नहीं है
तुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है

मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है


15 टिप्‍पणियां:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

अपनी खता नहीं है
तुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है


bahut khoob........

Vinay ने कहा…

सुन्दर सृजन
--->
गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम

Unknown ने कहा…

कमाल है शारदाजी.........
बहुत ख़ूब
अत्यन्त सौम्य अभिव्यक्ति...

धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है

बधाई हो आपको.........

ओम आर्य ने कहा…

ये बात कह रही है
बरसों से दुनिया सारी
जुनूनों ने आ लिखा है
बहुत बहुत ही भाव पुर्ण लेखन ........और क्या कहे.....अतिसुन्दर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अपनी खता नहीं है
तुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है

मैंने लिखा नहीं है
सुरूरों ने आ लिखा है

बहुत सुन्दर।
बधाई!

बेनामी ने कहा…

आपने अच्छा लिखा है. चूंकि आपने खुशफहमियों को प्राथमिकता दी है, इस लिए और कुछ नहीं कहूँगा. मेरे ब्लॉग पर आने कमेन्ट देने के लिए शुक्रिया.

Udan Tashtari ने कहा…

मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है

-बहुत बेहतरीन लिख सुरुर आकर. वाह!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

BAHUT KHOOB

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत खुब लाजवाब रचना।

अपूर्व ने कहा…

बेहतरीन..बेजुबानों के लिये लिखने का ही सहारा होता है बस...और कितनी बाते कह कर भी नही कही जा पाती हैं.

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

शारदा जी
आपकी यह कविता ही आपकी पतिनिधी shailee है
बहुत डूब कर लिखा और जिया है आपने
बधाई

लता 'हया' ने कहा…

thanx. accha likha hai.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है

LAJAWAAB .......... KHOOBSOORAT GAZAL HAI .....

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है..khoobsurat kavita...

अनिल कान्त ने कहा…

bahut behtreen likha hai aapne...mujhe achchha laga