आये हैं बीमार बीमार का हाल पूछने
कोई और भी है मेरे जैसा , तसल्ली हुई
आहट हुई राह में देख कर गुलाब को
सेहरे में गुंथता ये , ख़्वाबों से बात हुई
कोई गुजरा था कह देते हैं निशाँ सब कुछ
छेड़े जो तराने तो या खुदा दर्द हुआ या ग़ज़ल हुई
जितना है तेरा मन उदास , दर्द भी है उतना ही
अहसास दूरी का है जितना , उतनी ही तेरी प्यास हुई
कहाँ ढलता है सूरज दिन के ढलने पर
ढल जाती है जब उम्मीद , समझो के शब हुई
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
1 दिन पहले
कहाँ ढलता है सूरज दिन के ढलने पर
जवाब देंहटाएंढल जाती है जब उम्मीद , समझो के शब हुई
Bahuthee sundar!
जितना है तेरा मन उदास , दर्द भी है उतना ही
जवाब देंहटाएंअहसास दूरी का है जितना , उतनी ही तेरी प्यास हुई
bahut badhiya.
kya kahun .........har sher lajawaab hai.
जवाब देंहटाएंआये हैं बीमार बीमार का हाल पूछने
जवाब देंहटाएंकोई और भी है मेरे जैसा , तसल्ली हुई
कहाँ ढलता है सूरज दिन के ढलने पर
ढल जाती है जब उम्मीद , समझो के शब हुई
शब्दों की इन गहराईयों को सलाम.
कहाँ ढलता है सूरज दिन के ढलने पर
जवाब देंहटाएंढल जाती है जब उम्मीद , समझो के शब हुई
वाह क्या बात है
आपका स्वागत है सुबीर संवाद सेवा पर जहां गजल की क्लास चलाती है ओर मुशायरा आयोजित होता है लिंक मेरे ब्लॉग से ले सकती हैं
बहुत बढिया लिखा है .. बधाई !!
जवाब देंहटाएंआये हैं बीमार बीमार का हाल पूछने
जवाब देंहटाएंकोई और भी है मेरे जैसा , तसल्ली हुई
वह क्या बात कही है..
शुद्ध शायरी !
कहाँ ढलता है सूरज दिन के ढलने पर
जवाब देंहटाएंढल जाती है जब उम्मीद , समझो के शब हुई
ye sher
apni misaal khud aap hi hai
lajwaab....
shaandaar
बहुत बढिया,बहुत ही सार्थक ,तसल्ली हुई... बार-बार पढ़ने को जी चाह रहा है !
जवाब देंहटाएंsoul stirring couplets !
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