शुक्रवार, 6 मई 2011

रुके रुके से दिन



रुके रुके से दिन परछाइयाँ चलती हुईं
धू-धू कर जल उठीं अमराइयाँ कितनी

स्कैच बना कर खुदा रँग भरना भूल गया
काले सफ़ेद वर्कों में रुसवाइयाँ कितनी

बहला रहे हैं खुद को आँकड़ों के खेल में
जिन्दगी की दौड़ में गहराइयाँ कितनी

सँकरे रास्ते भी देते हैं पता मंजिल का
चल चल कर बनती हैं पगडंडियाँ कितनी

अपनों के बिखर जाने से डर लगता है
भले ही दूर हों मगर हैं नजदीकियाँ कितनी

तगाफुल होते ही रहते हैं राहे इश्क में
बचे साबुत तो देखेंगे के हैं बरबादियाँ कितनी

साजिश में दुनिया की खुदा भी था शामिल
शिकायत कैसे करें , हैं उसकी मेहरबानियाँ कितनी

15 टिप्‍पणियां:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सँकरे रास्ते भी देते हैं पता मंजिल का

चल चल कर बनती हैं, पगडंडियाँ कितनी

.................खूबसूरत शेर ....सभी शेर उम्दा

Unknown ने कहा…

साजिश में दुनिया की खुदा भी था शामिल
शिकायत कैसे करें , हैं उसकी मेहरबानियाँ कितनी
bahut khoob !

vandana gupta ने कहा…

स्कैच बना कर खुदा रँग भरना भूल गया
काले सफ़ेद वर्कों में रुसवाइयाँ कितनी
साजिश में दुनिया की खुदा भी था शामिल
शिकायत कैसे करें , हैं उसकी मेहरबानियाँ कितनी

शानदार गज़ल्…………हर शेर ज़िन्दगी की सच्चाइयां बयां कर रहा है।

आकर्षण गिरि ने कहा…

बहला रहे हैं खुद को आँकड़ों के खेल में
जिन्दगी की दौड़ में गहराइयाँ कितनी

sabhi sher ek se badhkar ek hain... badhaai

Aakarshan

Sunil Kumar ने कहा…

तगाफुल होते ही रहते हैं राहे इश्क में
बचे साबुत तो देखेंगे के हैं बरबादियाँ कितनी ?
क्या बात है शारदा जी यह शेर तो वास्तव में शेर है बहुत गहरी बात कह दी , मबारक हो

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अपनों के बिखर जाने से डर लगता है
भले ही दूर हों मगर हैं नजदीकियाँ कितनी
बेहतरीन ग़ज़ल

devendra gautam ने कहा…

बहला रहे हैं खुद को आँकड़ों के खेल में
जिन्दगी की दौड़ में गहराइयाँ कितनी
wah...bahut khoob...!

Amit Chandra ने कहा…

तगाफुल होते ही रहते हैं राहे इश्क में
बचे साबुत तो देखेंगे के हैं बरबादियाँ कितनी

हर शेर दाद के काबिल।

kshama ने कहा…

सँकरे रास्ते भी देते हैं पता मंजिल का
चल चल कर बनती हैं पगडंडियाँ कितनी

अपनों के बिखर जाने से डर लगता है
भले ही दूर हों मगर हैं नजदीकियाँ कितनी
Behad khoobsoorat panktiyan!

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

बहुत खूब पढ़ी. आपने..एक बढ़िया ग़ज़ल

Dr Kiran Mishra ने कहा…

aap ki kavita me gaharyee bhut hai shabd chayan achchha hai

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर गजल है,

तगाफुल होते ही रहते हैं राहे इश्क में
बचे साबुत तो देखेंगे के हैं बरबादियाँ कितनी
बधाई

mridula pradhan ने कहा…

साजिश में दुनिया की खुदा भी था शामिल
शिकायत कैसे करें , हैं उसकी मेहरबानियाँ कितनी
gazab ke bhaw.....bahut achcha laga.

Dr Kiran Mishra ने कहा…

bahut sundar rachna

Coral ने कहा…

बहला रहे हैं खुद को आँकड़ों के खेल में
जिन्दगी की दौड़ में गहराइयाँ कितनी

जिंदगी का सच रखा है आपने सामने ...बेहतरीन