रविवार, 20 नवंबर 2011

वक्त ने हमको चुना

वक्त ने हमको चुना
चोट खाने के लिये

मंज़िलें और भी हैं
राह दिखाने के लिये

कौन जीता है भला
गम उठाने के लिये

वक़्त आड़ा ही सही
साथ बिताने के लिये

रफू करना कला है
जिन्दगी बचाने के लिये

उधड़ गए तो सिले
गले लगाने के लिये

हिला रहा है कोई
हमको जगाने के लिये

उठो , अहतराम कर लो
ताल मिलाने के लिये

16 टिप्‍पणियां:

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

वक्त ने हमको चुना
चोट खाने के लिये

मंज़िलें और भी हैं
राह दिखाने के लिये

वाह! शानदार गजल....
सादर बधाई...

kshama ने कहा…

रफू करना कला है
जिन्दगी बचाने के लिये

उधड़ गए तो सिले
गले लगाने के लिये
Bahut hee kamaal kee panktiyan hain!

Nirantar ने कहा…

bahut achhee......

जीवन
जीना है तो
लड़ना है
लड़ना है तो
चोट भी खाना है
जीवन का अंत
ऐसे ही होना है

zakhm kkhaate rahnaa
phir malham lagaane kaa
silsilaa
chaltaa rahaa hai
chaltaa rahegaa

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

khoobsurat gazal...

नीरज गोस्वामी ने कहा…

रफू करना कला है
जिन्दगी बचाने के लिये

वाह...दाद कबूल फरमाएं

नीरज

Pallavi saxena ने कहा…

मंज़िले और भी है
रह दिखाने के लिए....
वाह!!! बहुत खूब लिखा है आपने बधाई समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

Sunil Kumar ने कहा…

रफू करना कला है
जिन्दगी बचाने के लिये
अच्छे शेर दाद कुबूल करें ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है! आपके ब्लॉग पर अधिक से अधिक पाठक पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

प्रेम सरोवर ने कहा…

आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट शिवपूजन सहाय पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…






आदरणीया शारदा अरोरा जी
सस्नेहाभिवादन !

वक्त ने हमको चुना
चोट खाने के लिये

मंज़िलें और भी हैं
राह दिखाने के लिये

वाऽऽह्… ! बहुत ख़ूबसूरत !

बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

अनुपमा पाठक ने कहा…

रफू करना कला है
जिन्दगी बचाने के लिये
वाह!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वक्त ने हमको चुना ...
बह्हुत ही लाजवाब और बेहतरीन .... यथार्थ की प्रस्तुति है ...

मन के - मनके ने कहा…

उठो,अहतराम कर लो
ताल मिलाने के लिये
प्रेरित करती रचना.

kanu..... ने कहा…

waqt ne humko chuna...ye sawal uthta hai kabhi kabhi..sundar rachna

Gyan Darpan ने कहा…

लाजबाब प्रस्तुति

Gyan Darpan
Matrimonial Site

kumar zahid ने कहा…

रफू करना कला है
जिन्दगी बचाने के लिये

उधड़ गए तो सिले
गले लगाने के लिये


हिला रहा है कोई
हमको जगाने के लिये

Achhe ashaar hai, badhai