रविवार, 11 दिसंबर 2011

यूँ तो हालात ने

यूँ तो हालात ने हमसे दिल्लगी की है
जीने का शउर सिखाना था , कुछ इस अन्दाज़ में गुफ्तगू की है

कोई एक तो होता हमारा गम -गुसार
हाय नायाब सी शै की जुस्तज़ू की है

अपने जख्मों की परवाह किसे
उसकी आँख में आँसू , फिर कोई रफू की है

दुनिया नहीं होती सिर्फ बुरी ही बुरी
उसी दुनिया से किसी और ही दुनिया की आरज़ू की है

हमको मालूम नहीं राग क्या है रागिनी क्या है
काले सफ़ेद सुर ज़िन्दगी के , ताल देने को दू-ब-दू की है

यूँ तो हालात ने हमसे दिल्लगी की है
जीने का शउर सिखाना था , कुछ इस अन्दाज़ में गुफ्तगू की है

12 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

दुनिया नहीं होती सिर्फ बुरी ही बुरी
उसी दुनिया से किसी और ही दुनिया की आरज़ू की है
Waise to pooree rachana bahut sundar hai par ye panktiyan khaas achhee lageen!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया है

शरद सिन्हा ने कहा…

अच्छी लगी.

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है! आपके ब्लॉग पर अधिक से अधिक पाठक पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...समय मिले कभी तो ज़रूर आयेगा मेरी पोस्ट पर आप्क स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति..... बेहतरीन पंक्तियाँ

नीरज द्विवेदी ने कहा…

Waah Sundar prastuti
Life is Just a Life
My Clicks
.

Vandana Ramasingh ने कहा…

यूँ तो हालात ने हमसे दिल्लगी की है
जीने का शउर सिखाना था , कुछ इस अन्दाज़ में गुफ्तगू की है
वाह सुन्दर प्रस्तुति

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

har sher bahut kamaal aur khaas...

यूँ तो हालात ने हमसे दिल्लगी की है
जीने का शउर सिखाना था , कुछ इस अन्दाज़ में गुफ्तगू की है

daad sweekaaren.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत अच्छी बढ़िया रचना,....

मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
सपने में कभी न सोचा था,जन नेता ऐसा होता है
चुन कर भेजो संसद में, कुर्सी में बैठ कर सोता है,
जनता की बदहाली का, इनको कोई ज्ञान नहीं
ये चलते फिरते मुर्दे है, इन्हें राष्ट्र का मान नहीं,

पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

Rakesh Kumar ने कहा…

आपका अंदाजे बयां लाजबाब है शारदा जी.
हर शेर उम्दा है.

नववर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा जी.