रविवार, 30 सितंबर 2012

चाह में दम

आह में दम हो तो असर होता है 
सीना हो नम तो ज़िगर होता है 

शिकवे-शिकायत भला किसको नहीं 
बात में दम हो तो असर होता है 

जाने किस दौड़ में हुआ शामिल 
ठहर गया तो शज़र होता है 

वक्त की नज़र है बड़ी टेढ़ी 
चाल में ख़म हो तो किधर होता है 

टूटी कड़ियाँ भी जुड़ जातीं 
चाह में दम हो तो गुज़र होता है 

लाख कह ले के इन्तिज़ार नहीं 
उम्मीद में कोई मगर होता है 

5 टिप्‍पणियां:

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

चाह में दम है तो
हर बात में असर होता है..
वाह||
बहुत बढ़िया गजल....
:-)

अरुन अनन्त ने कहा…

वाह क्या बात खास कर ये पंक्तियाँ तो बस लाजवाब हैं. मज़ा आ गया उम्दा रचना

टूटी कड़ियाँ भी जुड़ जातीं
चाह में दम हो तो गुज़र होता है

लाख कह ले के इन्तिज़ार नहीं
उम्मीद में कोई मगर होता है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (01-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

Rajput ने कहा…

शिकवे-शिकायत भला किसको नहीं
बात में दम हो तो असर होता है ..
ये पंक्तियाँ तो बस लाजवाब हैं, बहुत बढ़िया गजल

बेनामी ने कहा…

लाख कह ले के इन्तिज़ार नहीं
उम्मीद में कोई मगर होता है ... बहुत सुन्दर रचना ...