यूँ ही चलता रहा मैं
और चारा नहीं था
अमावस सी राहों पर
कोई तारा नहीं था
तन्हा था बहुत मैं
मगर हारा नहीं था
लूटा फूलों की बस्ती ने
काँटों को गवारा नहीं था
पी गये गम के बादल
यूँ भी गुजारा नहीं था
जला देता आँसू मुक्कद्दर
तो क्या खारा नहीं था
शिकन ले डूबती अक्सर
ज़हन का पारा नहीं था
तमन्नाओं की बस्ती में
कौन गम का मारा नहीं था
वो मेरा था तो सही
मगर सारा नहीं था
और चारा नहीं था
अमावस सी राहों पर
कोई तारा नहीं था
तन्हा था बहुत मैं
मगर हारा नहीं था
लूटा फूलों की बस्ती ने
काँटों को गवारा नहीं था
पी गये गम के बादल
यूँ भी गुजारा नहीं था
जला देता आँसू मुक्कद्दर
तो क्या खारा नहीं था
शिकन ले डूबती अक्सर
ज़हन का पारा नहीं था
तमन्नाओं की बस्ती में
कौन गम का मारा नहीं था
वो मेरा था तो सही
मगर सारा नहीं था
आपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....वाह!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
'यूँ ही चलता रहा मैं
जवाब देंहटाएंऔर चारा नहीं था '
- मजबूरी मे चलता रहा सब ?
तमन्नाओं की बस्ती में
जवाब देंहटाएंकौन गम का मारा नहीं था ...
तमाना के मारे तो बिचारे गम के सहारे ही जीते हैं अक्सर ...
लाजवाब लिखा है ...
वो मेरा था तो सही
जवाब देंहटाएंमगर सारा नहीं था
वाह ! बधाई
कृप्या यहाँ भी पधारें
http://www.rajeevranjangiri.blogspot.in/
बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhavon kee abhivyakti .
जवाब देंहटाएंबढिया, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि राजनीति से जुड़ी दो बातें आपको जाननी जरूरी है।
"आधा सच " ब्लाग पर BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी !
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/07/bjp.html?showComment=1374596042756#c7527682429187200337
और हमारे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर बुरे फस गए बेचारे राहुल !
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/blog-post.html
बहुत खूब .सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति. कमाल का शब्द सँयोजन
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
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