शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

आहटें भी खिजाँ की

हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं

बहार आई गई , पत्ता पत्ता बिछड़ा
बदल के बात जमीं से उखड़े दिखाई देते हैं

पकड़ के हाथ मीलों जो चले
बदले-बदले मिजाज ढीले-ढीले दिखाई देते हैं

बनी रहे तेरे चेहरे की चमक
तेरे मौसम दिल में उतरे दिखाई देते हैं

हमें तो आहटें भी खिजाँ की सुनाई देतीं हैं
रँग चेहरे के यूँ ही नहीं पड़ते पीले , दिखाई देते हैं

सोमवार, 12 सितंबर 2011

थोड़ी मेहरबानी रख लूँ

जितनी जीने के लिये ज़रूरी हो
थोड़ी बदगुमानी रख लूँ

बड़ी धूप है ऐ दोस्त
थोड़ी मेहरबानी रख लूँ

भरम सारे मुकर गये देखो
चलने को जिन्दगानी रख लूँ

तमाम उम्र साथी ही तके
हादसे धोने को थोड़ा पानी रख लूँ

नूर के शामियाने कहाँ गये
वही चेहरे यादों की निगहबानी रख लूँ

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

महिवाल जवाब माँगे



दिल है तो कोई
गुलाब माँगे

धड़कने के बहाने
कोई ख़्वाब माँगे

आग के दरिया से
चुल्लू भर चनाब माँगे

इबारतें लिखने को
ज़ज्बा-ए-जुनूँ बेहिसाब माँगे

वक्त सदियों से
हिसाब माँगे

साहिल पे कच्चा घड़ा है
महिवाल जवाब माँगे

दिल है तो जाने
क्या क्या जनाब माँगे