ज़िन्दगी भोर है , सूरज सा निकलते रहिये
चहकिए चिड़ियों सा , हर लम्हे को उत्सव कहिये
धूप ही धूप है बराबर सबके लिए
अपने गीतों में दुनिया की पीड़ा कहिये
ज़िन्दगी ले जाए चाहे जिस भी तरफ
उफ्फ़ न करिए , सागर के थपेड़े सहिये
हर दिन है नया दिन , कल की क्यूँ सोचें
गुलाबों सा खिलिये , महकते रहिये
काम आये जो किसी के , इन्सान है वही
ये जनम , ऐसा जीवन है तो सार्थक कहिये
मत कोसिए अँधेरों को , ये चुनौती हैं
मन का दीप जला , रात के सँग सँग बहिये
हौसला , ज़िन्दादिली , उम्मीद का रँग देखो
उग आता है सूरज , इनकी बदौलत कहिये