रविवार, 30 जनवरी 2011

मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी

कच्ची मिट्टी हूँ , तराश लो
प्याला-ए-मीना या सागरो-सुराही की तरह

अजब सी बात है , उदास है जो पीता है
रंज का जश्न मनाने की तरह

बात सीधी सी है , चाहिए बस एक नजर
रहमत की इनायत की तरह

बूँद वही चखने को , वक्त रुका बैठा है
शबे-गम की ठहरी हुई सहर की तरह

ज़र्रा-ज़र्रा उधड़ गया अपना
इक नई शक्ल में ढलने की तरह

मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाऊँगी
बचपन के नन्हें घरौंदों की तरह

बुधवार, 19 जनवरी 2011

रग-रग में धूप समाई न

आ बैठे निशाँ भी चेहरे पर 

रग-रग में धूप समाई न 


हम वादा कर के भूल गए 

खुद से भी हुई समाई न  


क्यूँ जाते हैं उन गलियों में 

पीछे छूटीं , हुईं पराई न 


ठहरा है सूरज सर पर ही 

चन्दा की बारी आई न 


सरकी न धूप , रुका मन्जर 

आशा से हुई सगाई न 


न कोई नींद , न कोई छलाँग 

पुल सी कोई भरपाई न 


दर्द है तो है गमे-तन्हाई भी 

काँटें हैं ! क्या पैर में बिवाई न

सोमवार, 3 जनवरी 2011

इस साहिल तक आन




अमिताभ बच्चन इस सदी के सिनेमा के महानायक , शाहरुख़ खान भी इसी कड़ी में हैं , ये तो वक्त की मुट्ठी में है किस किस को शोहरत देगा । मेरे आसपास समाज में इसी सदी के नायक मिस्टर एस.पी.रावल , जिनके लिये मैंने ये कविता या कहिये ..गीत रचा , भाव जैसे ही संवेदनाएँ बनते हैं , उन्हें कविता में ढलते देर नहीं लगती ।


Mr.S.P.Rawal –Ex. Vice President Gestetner India Ltd.
Chairman Open Futures
Dr. Sujata Singh (daughter) –M.S.Phd Senior Scientist Singapore
Dr.Ranbir Singh(son-in-law) – M.S.Phd. patent to his name , Director South East Asia in one of the leading I.T. company Singapore
Dr. Avantika Nath (daughter) – Medical Director Dental in city of Sanfransisco
Dr.Rajneesh Nath (son-in-law)- M.D.Oncologist Ex. Senior Director Johnson & Johnson
Dr. Savita Singh (daughter) – M.S. Opthomology & M.D. Reumatology , owns clinic in Philedelphia
Mr. Neeraj Singh (son-in-law) – B.E. & M.B.A. Finance , Million Dollar Round Table member
Mr. Sanjay Rawal (son) – B. Com . Honours , C.O. Open Futures
Mrs. Kamakshi Rawal ( daughter-in-law) – B.A., L.L.B.


उनकी उपलब्धियों के बारे में ज्यादा न कुछ कहूंगी , हाँ २१ साल पहले उन्हें छोड़ कर इस दुनिया को अलविदा कह गईं अपनी दीदी का जिक्र इस गीत में कैसे न करूँ ? उनके अपने व्यक्तित्व और बच्चों की तरक्की की तह में उस त्यागमई स्नेहमई मूर्ति का कितना बड़ा योगदान है , ये बिना कहे भी सब जानते हैं । ३० दिसम्बर २०१० को जीजा जी के ७०वें जन्मदिन पर , जब उनकी बेटियों ने सिंगापुर अमेरिका से आ कर ,भारत में रह रहे अपने भाई भाभी के साथ मिल कर एक आकस्मिक पार्टी आयोजित की , ये गीत मैंने उसी उपलक्ष्य में रचा और कहा ...डा. अवंतिका यानि सरिता ने कमाल का प्रोग्राम एंकर किया और गुलदस्ते के सारे फूलों ने कमाल की मेजबानी की . ...



आया है महफ़िल में कोई , बन के सदी की पहचान
और आया है बन कर के , इस महफ़िल की शान

कोई कहे वो साथी मेरा , कोई कहे वो मेरी शान
अपना अपना रिश्ता ढूँढें , ऐसी है पहचान

सूरज चन्दा रुक कर देखें , उनसा ही कोई राही है
धरती पर उतरा है जो , सबको अपना मान

होते हैं इम्तिहाँ इंसाँ के ही , छोड़ जाएँ जब साथी भी
मिसाल बनी है हिम्मत ही , ले आई जो इस साहिल तक आन

प्रेरणा देता उजला चेहरा , देखो कैसी आन और शान
राहें चुप हैं बोल उठे हैं , देखो पीछे पीछे निशान

मिल बैठे हैं , सँजय , सुजाता , सरिता , सविता
कामाक्षी ,तेजस्वी और ध्रुव ; रनधीर ,रजनीश ,नीरज और
सेजल ,रोहन , रूही , रिया , रवीना ; मानव और वरुन
शुरू उसी से होकर देखो , गुलदस्ते की शान

आया है महफ़िल में कोई , बन के सदी की पहचान
और आया है बन कर के , इस महफ़िल की शान