मंगलवार, 12 नवंबर 2013

दिल ही चाहिये मगर

अब के मिलेंगे तुझसे तो ,दिल रख के आयेंगे घर 
दिल काँच का जरुर है , खिलौना नहीं मगर 

अकेले दम पर चलती नहीं दुनिया , हमने देखा है 
मजबूर हैं हम , नुमायश नहीं मगर  

ख़्वाब कितने महँगे हैं , बाज़ार में बिकते नहीं 
नक्दे-जाँ के बदले , दिल ही चाहिये मगर 

सवाल करना मना है , सितम तो देखिये भला 
अपना भी उसे कैसे कहें ,पास होके भी दूर ही खड़ा है मगर