बुधवार, 24 दिसंबर 2014

तुम्हारी आँखों में

तुम्हारी आँखों में हौसला चमकता बहुत है 
तुम्हारे आस-पास समाँ महकता बहुत है 

तुम्हें छू कर जो आतीं हैं हवाएँ 
इनकी नमी से अपनापन टपकता बहुत है 

तुम्हारे आ जाने से आ जाती है रौनक 
यादों की क्यारी में तुम्हारा चेहरा दमकता बहुत है 

तुम्हारी पलकों पर रक्खे हैं जो ख़्वाब 
कोई इनमें ही आ-आ के बहकता बहुत है 

तुम्हें देखूँ ठिठक जातीं हैं निगाहें 
ये मन किसी बच्चे सा चहकता बहुत है