रविवार, 30 अगस्त 2009

सुरुरों ने आ लिखा है

मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है

ये बात कह रही है
बरसों से दुनिया सारी
जुनूनों ने आ लिखा है

धड़कन ये कह रही है
उसकी जुबाँ नहीं है
बेजुबानों ने आ लिखा है

जन्मों से चल रहा है
जिसे देख के हैं चलते
उन्हीं रँगों ने आ लिखा है

अपनी खता नहीं है
तुम्हें पा के हम जो खिलते
कुसूरों ने आ लिखा है

मैंने लिखा नहीं है
सुरुरों ने आ लिखा है