रविवार, 8 मार्च 2009

इक बोल मेरी ओर

वो जो इक बोल मेरी ओर
तुमने उछाला मानों
लपक के पकड़ा मेरे दिल ने
कोई निवाला जानो

बरसा गया कोई बादल
ठण्डी फुहारें मानो
खिल गये फूल और कलियाँ
आईं बहारें जानो

बिना बोले ही तेरी नजरों ने
उछाले दिलासे मानो
झोली भर ली , छंट गये
सारे कुहासे जानो