शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

रँग आ गया फागुन की बयारों का

रँग  गया फागुन की बयारों का
मस्ती के ढोल नगाड़ों का
होली का , तन-मन रँग के गीत गाने का


रँग होली का है अबीर-गुलाल
रँग जीवन का है यही , हँसी-खेल-खुशी
बहाना है चलने का , दम भरने का
रँग गया फागुन की बयारों का


थिरकन भी है धड़कन का जवाब
थाप ढोलक की नहीं , कदम थिरकते कहीं
फ़साना है धड़कनों का , थाप और लय का
रँग गया फागुन की बयारों का


सज जाता है जीवन भी
आओ लग जाएँ गले , भूल कर शिकवे-गिले
यही मौका है , दिलों के सौहाद्र बढ़ाने का
रँग गया फागुन की बयारों का