बुधवार, 18 सितंबर 2019

नानी का प्यारा घर

किच्छा की गलियों से
नानी के आँगन से
दरियों की पँगत से
बाल्टी भर आमों से
कजन्स की सँगत से
मासियों मामों से
रिश्ता जो अपना है

लाया है कौन हमें

यूरोप के शहरों तक
लहराती नदियों तक
सुरम्य नज़ारों तक
सारा जग अपना है
गगन की बाँहों तक

ज़िन्दगी की रँगत है

वही तो जोड़े है
दुआ सलामों से
बचपन की खुशबू से
लड़कपन यादों में
सुहाने सपनों में
महकता जीवन भर
खुली फ़िज़ाओं में
देश- विदेशों में
नानी का प्यारा घर