आज है कल नहीं है
यूँ तो है ये मुट्ठी में ,
फिसली तो बस नहीं है
उट्ठे जो दिल में नेकी ,
कर डालो बस अभी तुम
मन की है ये ही फितरत ,
बदले तो हद नहीं है
आँखों में बसी जो सूरत ,
तरसेंगें देखने को भी
अहसास तो यहीं हैं ,
वो मूरत ही बस नहीं है
मिलने के सौ बहाने ,
छोड़ो न एक भी तुम
क्या पता है कल क्या होगा ,
वक़्त है भी या नहीं है