शनिवार, 7 मार्च 2009

तूफाँ में नहीं हिलना

तूफाँ में नहीं हिलना
तूफाँ के साथ बहना
मुश्किल है मुश्किल में
लहरों को यूँ गिनना

डूबेगा ख़ुद ही तो
अर्जी है भँवर की ये
समँदर की मौजे हैं
किनारे छू के मुस्करायें

मचलें हैं लहरें तो
चंदा से मिलने को
बेशक उनकी भी तो
हर आस अधूरी है

कुछ भी छूटे या रूठे
मौजों के साथ बहना
तरंगें ही जीवन है
हर पल है यही कहना