पी रहे हैं जैसे कोई अज़ाब शर्तों पर
चलता तो है हर कोई दिल से
दिल है या है कोई मजाक शर्तों पर
रंगे-हिना की मस्ती में जो न डूबे
भला खिलता है दिल का गुलाब शर्तों पर
बेवफ़ाई है गर मुहब्बत का दूसरा नाम
खाई है दोनों तरफ़ जनाब शर्तों पर
चढ़ता उतरता रहता है ख़ुमार बेशक
कहाँ मिटता है दरिया-ए-चनाब शर्तों पर

