गुरुवार, 5 मार्च 2009

दुःख गीत ग़ज़ल हो जाता है

दुःख गीत ग़ज़ल हो जाता है
गर दुःख के तराने पर थिरक सकें

.कड़वे शब्दों को देना दावत
इतने मर्जों से बढ़ कर और सजा क्या है
मर्जों की दवा हो जाती है
गर पग-पग घुँघरू झनक सकें

.दुःख इम्तिहान लेता है
मीठे बोलों से बढ़ कर और दुआ क्या है
दिल साजे ग़ज़ल हो जाता है
गर दुःख की तर्ज़ पर खनक सकें