बुधवार, 24 दिसंबर 2014

तुम्हारी आँखों में

तुम्हारी आँखों में हौसला चमकता बहुत है 
तुम्हारे आस-पास समाँ महकता बहुत है 

तुम्हें छू कर जो आतीं हैं हवाएँ 
इनकी नमी से अपनापन टपकता बहुत है 

तुम्हारे आ जाने से आ जाती है रौनक 
यादों की क्यारी में तुम्हारा चेहरा दमकता बहुत है 

तुम्हारी पलकों पर रक्खे हैं जो ख़्वाब 
कोई इनमें ही आ-आ के बहकता बहुत है 

तुम्हें देखूँ ठिठक जातीं हैं निगाहें 
ये मन किसी बच्चे सा चहकता बहुत है 

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

दो कदम चल के

मुझको इस दुनिया ने दिया भी तो क्या 
मेरी निष्ठा पर है सवाल लगा , कद्र-दाँ न मिला 
सारा गगन है झुका , ज़मीं है नहीं क़दमों तले 

सो गये नज़ारे भी , ख़्वाबों के सितारे भी 
दो कदम चल के , मेरे अरमान सारे भी
ये मोहताजी है क्यूँकर , भीड़ में तन्हा है जहान सारा ही 

इम्तिहान की घड़ियाँ , वक़्त से हारे भी 
हम तो हैं बेशक , सब्र के मारे भी 
किसे मिली है मन्जिल , दौड़ता रहता है जहान सारा ही