जिन्दगी भी फ़ानी ही लगे
बारूद के ढेर पर कोई कहानी ही लगे
फूलों को बोना भी जरुर
काँटों में इनकी महक ज़िन्दगानी ही लगे
तोड़ कर तारे तो मैं ले आऊँ
जो मेरे हाथ कोई मेहरबानी ही लगे
न आए कोई तो क्या कीजे
दिल जलाना भी नादानी ही लगे
वक्त के हाथ हैं तुरुप के मोहरे
पत्तों की बाज़ी भी आसमानी ही लगे
भस्म कर देती है चिन्गारी भी
राख के ढेर तले आग पुरानी ही लगे
छाछ भी फूँक के ही पीता है
जले दूध के को सब फ़ानी ही लगे
किताब मिली - शुक्रिया - 22
1 दिन पहले