एक पाती बहारों के नाम ,
तुम्हारा इन्तिज़ार अब तक हरा है
सूखी नहीं हैं टहनियाँ कोई अब तक खड़ा है
मौसम कई आए गए किसको पता
कोई अब तक तन्हा बड़ा है
मत बताना नहीं आयेगी कोई चिट्ठी
इतनी सी खबर में भी तूफ़ान बड़ा है
लम्हा लम्हा रौशन हैं बहारें देखो
ज़िन्दगी ये भी तेरा अहसान बड़ा है
चन्दा भी रातों को जगा है
रोज घटता बढ़ता अरमान बड़ा है
कोपलें खिल न सकीं मौसम की मेहरबानी से
धरती के सीने में अहसास बड़ा है
वफ़ा ज़फ़ा एक ही सिक्के के दो पहलू
सगा नहीं है कोई फिर भी विष्वास बड़ा है
टंगा हुआ है कोई आसमाँ के पहलू में
वजह कोई न थी तो क्यूँ किस्मत से लड़ा है
पतझड़
21 घंटे पहले