बुधवार, 18 नवंबर 2020

जिन्दा रखिये

 सो न जाये इंसानियत कहीं

सीने में ज़मीर को जिन्दा रखिये


कितना भी कटु हो इतिहास

अपने आज को जिन्दा रखिये 


वक्त के साथ बदल जाता है बहुत कुछ

मगर यादों में उल्लास को जिन्दा रखिये


मर न जाये कहीं बेवक्त अहसास 

अपनी आवाज को जिन्दा रखिये


खो न जाये वो नफासत ,नजाकत 

सँगीत भरे माहौल को जिन्दा रखिये 


होती है जिन्दगी किन्हीं दुआओं का असर

अपनों की महक को जिन्दा रखिये


खो गया है बचपन तो कहीं बहुत पीछे

सीने में मगर नन्हें बच्चे को जिन्दा रखिये

रविवार, 8 नवंबर 2020

बेटे का जन्मदिन

 मेरी शान भी तू, मेरी पहचान भी तू

मेरी साँसों में बसी , मेरी जान भी तू


दिल से दिल की है राह सदा उजली 

और तो और मैंने अपनी ही सूरत तुझमें देखी सदा 

मेरे जीने के बहानों का अरमान भी तू 


मेरे कदमों के नीचे न थी कोई जमीं 

ओढ़ा कर जो तू लाया मुझे आसमाँ , मैंने देखा

मेरे कदमों का दम , अभिमान भी तू


जिन्दगी से नहीं है कोई गिला

जो न पाया वो नहीं था मेरा, जो पाया 

जो पाया वो है बहुत , आसमान भी तू , मेरी उड़ान भी तू