दुखती रगों को हौले से हिला देती है
तन जाते हैं जब तार मन के
कैसी कैसी तानों को बजा देती है
ज़िन्दगी हो रूठी सजनी जैसे
तिरछी निगाहों से इम्तिहान लेती है
जगते बुझते हौसलों को
हवाओं से हवा देती है
कड़वे घूँटों सी दवाई उसकी
माँ की घुट्टी , घुड़की सा असर देती है