शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

गीत अक्सर गुनगुनाया करो

ग़मगीन ही सही , जो तुम्हें पसन्द हो , वो गीत अक्सर गुनगुनाया करो 
वक़्त के साथ-साथ तुम भी तो मुस्कराया करो 

वक़्त के फेर में उलझ जाता है हर कोई 
तुम जरा वक्त से परे हो कर , ज़िन्दगी को सजाया करो 

कौन जाने कब बदल जायेगा मौसम का मिजाज 
तुम इस तरह भी फिजाँ को बुलाया करो 

आईना यूँ भी हम से कहता है , तू जो सोचता है 
दिखता है , खुद को यूँ भी न भुलाया करो 

आह से भी तो उपजता है गान 
गाने लगती है सारी कायनात , ये कभी न भुलाया करो 

तुम गुनगुनाओ के शब हो या सहर 
सूरज ने कभी छुट्टी न ली , उसे रोज बुलाया करो