गुरुवार, 27 जून 2013

दिलरुबाई ही लगे

 हम वहाँ हैं जहाँ ,
अपनी खबर भी पराई ही लगे 

चिकने घड़े सा कर दिया 
ज़िन्दगी ये भी रुसवाई ही लगे 

न जाते इधर तो किधर जाते 
हर शय शौदाई ही लगे 

आईना किस को दिखाऊँ 
अपनी फितरत भी हरजाई ही लगे 

यही बदा है , यही सही 
रात के पैर में बिवाई ही लगे 

तेरा मुँह देख के जीते हैं 
आग अपनी लगाई ही लगे 

इश्क में दर-बदर हर कोई 
दाँव पर सारी खुदाई ही लगे 

शोला हो , शबनम हो 
ऐ वक्त , दिलरुबाई ही लगे 

सोमवार, 17 जून 2013

न चेहरे की ढाल हुआ

मेहँदी घुल गई नस-नस में 
फिर भी रँग न गुलाल हुआ 

चढ़ते सूरज को नमन 
ढलता सूरज बेहाल हुआ 

मन की शिकन बोल उठे 
हाय क्या आदमी का हाल हुआ 

लीपा-पोती , रँग-रोगन 
न चेहरे की ढाल हुआ 

चलता-पुर्जा , ढीली-चूलें 
आदमी अब सिर्फ माल हुआ