शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

ठण्डी हवा के झोंके

ठण्डी हवा के झोंके , छूकर हैं जब गुजरते
छूकर हैं उनको आये , वादों से जो मुकरते

खुशियों के ये इरादे , कैसे सनम पकड़ते
बहती हवा के मानिंद , दामन में न ठहरते

सिर चढ़ के जो बोले , देखो सुरूर चढ़ते
मीठी सी नीँद बन कर , दिल में हैं यूँ उतरते

ठहरा है काफिला भी , देखो इसे गुजरते
खुशबू है पीछा करती , दामन से जो उलझते

ठण्डी हवा के झोंके , छूकर हैं जब गुजरते
गहरी सी टीस बन कर , मौसम को यूँ निगलते