जितनी जीने के लिये ज़रूरी हो
थोड़ी बदगुमानी रख लूँ
बड़ी धूप है ऐ दोस्त
थोड़ी मेहरबानी रख लूँ
भरम सारे मुकर गये देखो
चलने को जिन्दगानी रख लूँ
तमाम उम्र साथी ही तके
हादसे धोने को थोड़ा पानी रख लूँ
नूर के शामियाने कहाँ गये
वही चेहरे यादों की निगहबानी रख लूँ
किताबों की दुनिया - 226
25 मिनट पहले