सोमवार, 29 जुलाई 2019

वक़्त हमें क्या देगा

वक़्त हमें क्या देगा 
क्या किस्मत जो बदल देगा 

वीरानियों ने पूछा है 
क्या कोई गुमाँ है जो बचपन देगा 

जहान तो है इक बाज़ार ही 
खोटे सिक्के सा तुझे पलट देगा 

दर्द जैसे जागता है हर सीजन 
चोट को कोई क्या भुला देगा 

वो मेरी जड़ें खोद रहा है 
ये गम ही मुझे कज़ा देगा 

बड़ी मामूली सी हैं ख्वाहिशें मेरी 
आसमान मुझे कोई क्या देगा 

वक़्त से भिड़ जाना आसान नहीं है 
फ़ना होगा या सँवर जायेगा ,
देखा जायेगा जो भी बदा होगा 

कज़ा -मौत


सोमवार, 1 जुलाई 2019

इज़हार

प्यार इज़हार माँगता है ,
और बार बार माँगता है 
जीने की वजह बनता है ,
इसीलिए तो इकरार माँगता है 

ख़ुशी भी छलकती है , 
और ग़म भी झलकता है 
वो जो आँखों से बयाँ होता है , 
दिल वही सुनने को तरसता है 

तुम जो हो आस पास तो , 
हम हो जाते हैं बेफिक्रे 
दिल के टुकड़ों को कोई कैसे समझाये 
दिल हो साबुत तब ही तो धड़कता है