शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

जो जी चाहे


जो जी चाहे वो घड़ियाँ याद कर लेना
जो साथ गुजरीं थीं वो कड़ियाँ आबाद कर लेना

१ नहीं मालूम हमको है , कहाँ जाती हैं ये राहें
हमें मालूम इतना है , बड़ी प्यासी हैं ये रूहें
बड़ी प्यासी हैं ये रूहें

२ कहाँ मिट्टी के माधो तुम , कहाँ हूँ मैं भी ठहरी सी
टकरा के किन्हीं नाजुक पलों में , न तन्हाँ छोड़ जाना तुम
न तन्हाँ छोड़ जाना तुम

३ वादे होते हैं सात जन्मों के , इरादे हों वफ़ा के जो
थोड़ी सुबहें , थोड़ी शामें , ये जन्म तो आशना के नाम हो जाए
आशना के नाम हो जाए