वैलेन्टाइन-डे की नजर
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
चाँद खिलौने की ज़िद
डगर से बेखबर , नाजुक कन्धों पे रखना न बोझ रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
कस्तूरी सी महक
और टीसती कसक , दिल का कोना है बहुत उदास रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
उम्र भर का है रोग
दुनिया है बेरहम , आतिशे-गुल का है क्या काम रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
कर खुद पर करम
घर फूँक या दिल फूँक , तमाशे का है क्या अन्जाम रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
तू ऊँचा उठे
नापे धरती-गगन , क़दमों में बेड़ियों का है क्या काम रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
चाँद खिलौने की ज़िद
डगर से बेखबर , नाजुक कन्धों पे रखना न बोझ रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
कस्तूरी सी महक
और टीसती कसक , दिल का कोना है बहुत उदास रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
उम्र भर का है रोग
दुनिया है बेरहम , आतिशे-गुल का है क्या काम रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
कर खुद पर करम
घर फूँक या दिल फूँक , तमाशे का है क्या अन्जाम रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद
तू ऊँचा उठे
नापे धरती-गगन , क़दमों में बेड़ियों का है क्या काम रे
सत्रह-अठरह का इश्क , होता है नासमझ
रूहानी सी प्यास , दीवानगी की वो हद