यूँ ही चलता रहा मैं
और चारा नहीं था
अमावस सी राहों पर
कोई तारा नहीं था
तन्हा था बहुत मैं
मगर हारा नहीं था
लूटा फूलों की बस्ती ने
काँटों को गवारा नहीं था
पी गये गम के बादल
यूँ भी गुजारा नहीं था
जला देता आँसू मुक्कद्दर
तो क्या खारा नहीं था
शिकन ले डूबती अक्सर
ज़हन का पारा नहीं था
तमन्नाओं की बस्ती में
कौन गम का मारा नहीं था
वो मेरा था तो सही
मगर सारा नहीं था
और चारा नहीं था
अमावस सी राहों पर
कोई तारा नहीं था
तन्हा था बहुत मैं
मगर हारा नहीं था
लूटा फूलों की बस्ती ने
काँटों को गवारा नहीं था
पी गये गम के बादल
यूँ भी गुजारा नहीं था
जला देता आँसू मुक्कद्दर
तो क्या खारा नहीं था
शिकन ले डूबती अक्सर
ज़हन का पारा नहीं था
तमन्नाओं की बस्ती में
कौन गम का मारा नहीं था
वो मेरा था तो सही
मगर सारा नहीं था