मुक्कमिल जहाँ किसे मिलता
कहीं ज़मीन कम , तो है कहीं आसमान कम
ये आदमी की मर्ज़ी है , कभी तम्बू सी ले
कभी दरारें भर ले , ताकि ज़ख्म नजर आयें कम
सपने के बिना उड़ान होती नहीं
पँख दिये हैं खुदा ने , फिर भी है मीठी नीँद कम
खूने-जिगर से सीँच लो चाहे कितना
पैसे से खरीद लो मगर रिश्ते देंगे सुकून कम
मजबूरी ,इम्तिहान , हौसला है गर ज़िन्दगी का नाम
इसीलिये ज़ायका नमक नमक है मीठा कम
बहुत मुश्किल है बुरे वक्त को गुज़रते हुए देखना
टूटी हुई रीढ़ के साथ ज़िन्दगी चल पाती है कम
हम दोनों हाथों से सँभाल लें ऐ ज़िन्दगी तुझे
पकड़ के रख लें मगर तुम क़ैद हो पाती हो कम कम
कहीं ज़मीन कम , तो है कहीं आसमान कम
ये आदमी की मर्ज़ी है , कभी तम्बू सी ले
कभी दरारें भर ले , ताकि ज़ख्म नजर आयें कम
सपने के बिना उड़ान होती नहीं
पँख दिये हैं खुदा ने , फिर भी है मीठी नीँद कम
खूने-जिगर से सीँच लो चाहे कितना
पैसे से खरीद लो मगर रिश्ते देंगे सुकून कम
मजबूरी ,इम्तिहान , हौसला है गर ज़िन्दगी का नाम
इसीलिये ज़ायका नमक नमक है मीठा कम
बहुत मुश्किल है बुरे वक्त को गुज़रते हुए देखना
टूटी हुई रीढ़ के साथ ज़िन्दगी चल पाती है कम
हम दोनों हाथों से सँभाल लें ऐ ज़िन्दगी तुझे
पकड़ के रख लें मगर तुम क़ैद हो पाती हो कम कम