स्वप्न सरीखी दुनिया से ताल मिलाना सीख लिया
बच्चों सा ये रोता था , बच्चों सा ही चहकता था
निश्छल होकर भी निश्छल न था
क्या खोना है , क्या पाना है , सुबह का तराना सीख लिया
मेरे मन ने गाना सीख लिया
बूढों सी नसीहत देता था , हर बात में अगला पिछला कर
क़दमों को पंगु कर देता
जो होगा देखा जायेगा , क़दमों ने थिरकना सीख लिया
मेरे मन ने गाना सीख लिया
लहरों का टकरा-टकरा कर , अठखेलियाँ करना देखा है
सागर से मचलना देखा है
इन रँग-बिरँगी चिड़ियों से , इन सा ही चहकना सीख लिया
मेरे मन ने गाना सीख लिया
डरते थे शक करते थे , नियमों से बंधी इस दुनिया में
नियमों को न देखा करते थे
कर्मों के बही-खाते में , अपना भी तराना देख लिया
मेरे मन ने गाना सीख लिया