गाते हैं तेरे हौसले
गाता है धरती आसमान
गाते हैं तेरे मन प्राण
बोलती है आँखों की जुबान
माहौल में रचे बसे
मन की तहें खोलते
अबीर और हिना की तरह
रँग छोड़ते निशान
एक सिरा तेरे हाथ है
दूसरा आँधियों के पार
सूरज को मात देती
हौसले की ये मुस्कान
गाते हैं तेरे हौसले
गाता है धरती आसमान
गाता है धरती आसमान
धरती गगन को नापती
तेरे पँखों की उड़ान