सोमवार, 12 जनवरी 2009

गाते हैं तेरे हौसले

गाते हैं तेरे हौसले

गाता है धरती आसमान

गाते हैं तेरे मन प्राण

बोलती है आँखों की जुबान


माहौल में रचे बसे

मन की तहें खोलते

अबीर और हिना की तरह

रँग छोड़ते निशान


एक सिरा तेरे हाथ है

दूसरा आँधियों के पार

सूरज को मात देती

हौसले की ये मुस्कान


गाते हैं तेरे हौसले
गाता है धरती आसमान

धरती गगन को नापती

तेरे पँखों की उड़ान