सोमवार, 22 जुलाई 2013

मगर हारा नहीं था

यूँ ही चलता रहा मैं 
और चारा नहीं था 

अमावस सी राहों पर 
कोई तारा नहीं था 

तन्हा था बहुत मैं 
मगर हारा नहीं था 

लूटा फूलों की बस्ती ने 
काँटों को गवारा नहीं था 

पी गये गम के बादल 
यूँ भी गुजारा नहीं था 

जला देता आँसू मुक्कद्दर 
तो क्या खारा नहीं था 

शिकन ले डूबती अक्सर 
ज़हन का पारा नहीं था 

तमन्नाओं की बस्ती में 
कौन गम का मारा नहीं था 

वो मेरा था तो सही 
मगर सारा नहीं था 




9 टिप्‍पणियां:

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस शानदार प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार २३/७ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है सस्नेह ।

अशोक सलूजा ने कहा…

बहुत खूब ....वाह!
शुभकामनायें!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

'यूँ ही चलता रहा मैं
और चारा नहीं था '
- मजबूरी मे चलता रहा सब ?

दिगम्बर नासवा ने कहा…

तमन्नाओं की बस्ती में
कौन गम का मारा नहीं था ...

तमाना के मारे तो बिचारे गम के सहारे ही जीते हैं अक्सर ...
लाजवाब लिखा है ...

राजीव रंजन गिरि ने कहा…

वो मेरा था तो सही
मगर सारा नहीं था
वाह ! बधाई
कृप्या यहाँ भी पधारें
http://www.rajeevranjangiri.blogspot.in/

विभूति" ने कहा…

बहुत ही अच्छी.... जबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

bahut sundar bhavon kee abhivyakti .

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया, बहुत सुंदर


मुझे लगता है कि राजनीति से जुड़ी दो बातें आपको जाननी जरूरी है।
"आधा सच " ब्लाग पर BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी !
http://aadhasachonline.blogspot.in/2013/07/bjp.html?showComment=1374596042756#c7527682429187200337
और हमारे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर बुरे फस गए बेचारे राहुल !
http://dailyreportsonline.blogspot.in/2013/07/blog-post.html

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत खूब .सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति. कमाल का शब्द सँयोजन
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/