है कोई न कोई तो बात
जो लम्हात हमसे लिखवाते हैं
अपने हाथों में जिन्दगी जितनी बच जाये
फिसले जाते हैं दिन रात
जो लम्हात हमसे लिखवाते हैं
अपना चेहरा ही नहीं जाता है पहचाना
हुई ख़ुद से यूँ मुलाकात
जो लम्हात हमसे लिखवाते हैं
रोये गाये भारी मन को हल्का करने
उतरे लफ्जों में हैं हालात
जो लम्हात हमसे लिखवाते हैं
मेरी ही आवाज में सुनने के लिए
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UMDA RACHNA. BADHAAI.
जवाब देंहटाएंअपना चेहरा ही नहीं जाता है पहचाना
जवाब देंहटाएंहुई ख़ुद से यूँ मुलाकात
andaz achchha laga
उतरे लफ्जों में हैं हालात
जवाब देंहटाएंजो लम्हात हमसे लिखवाते हैं
सही है ये अभिव्यक्तियाँ लम्हार ही लिखवाते हैं शुभकामनायें
बहुत बढ़िया लिखा है।
जवाब देंहटाएंकल सोमवार को इसे चरचा मे देख लीजिए।
http://anand.pankajit.com/
आपके जज़्बात बहुत ख़ूब लिखवा लेते हैं आपसे.............
जवाब देंहटाएंमुबारक हो..........
bahut hi bhavpurat kavita...congrates....
जवाब देंहटाएंरोये गाये भारी मन को हल्का करने
जवाब देंहटाएंउतरे लफ्जों में हैं हालात
जो लम्हात हमसे लिखवाते हैं
pataa nahi kitne hi diloN ki
baat keh di aapne apni iss nazm meiN
rachnaa kaamyaab hai
badhaaee