जिन्दगी भी फ़ानी ही लगे
बारूद के ढेर पर कोई कहानी ही लगे
फूलों को बोना भी जरुर
काँटों में इनकी महक ज़िन्दगानी ही लगे
तोड़ कर तारे तो मैं ले आऊँ
जो मेरे हाथ कोई मेहरबानी ही लगे
न आए कोई तो क्या कीजे
दिल जलाना भी नादानी ही लगे
वक्त के हाथ हैं तुरुप के मोहरे
पत्तों की बाज़ी भी आसमानी ही लगे
भस्म कर देती है चिन्गारी भी
राख के ढेर तले आग पुरानी ही लगे
छाछ भी फूँक के ही पीता है
जले दूध के को सब फ़ानी ही लगे
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
1 दिन पहले
बहुत सुन्दर ग़ज़ल.... हर शेर में वज़न है...
जवाब देंहटाएंफूलों को बोना भी जरुर
जवाब देंहटाएंकाँटों में इनकी महक ज़िन्दगानी ही लगे
वाह बहुत सुन्दर गज़ल लिखी है।
जिन्दगी भी फ़ानी ही लगे
जवाब देंहटाएंबारूद के ढेर पर कोई कहानी ही लगे
भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति...
----देवेंद्र गौतम
भस्म कर देती है चिन्गारी भी
जवाब देंहटाएंराख के ढेर तले आग पुरानी ही लगे
क्या बात है। बहुत बढि़या
भस्म कर देती है चिन्गारी भी
जवाब देंहटाएंराख के ढेर तले आग पुरानी ही लगे ...
बहुत खूब...लाज़वाब गज़ल ..
भस्म कर देती है चिन्गारी भी
जवाब देंहटाएंराख के ढेर तले आग पुरानी ही लगे ..
वाह बहुत सुन्दर गज़ल लिखी है।
बहुत सुन्दर......बेहतरीन ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएंजिन्दगी भी फ़ानी ही लगे
जवाब देंहटाएंबारूद के ढेर पर कोई कहानी ही लगे
फूलों को बोना भी जरुर
काँटों में इनकी महक ज़िन्दगानी ही लगे.
सारा जीवन दर्शन डाल दिया है इस गज़ल में. बहुत गहरी बातें. मुबारक हो शारदा जी.
भस्म कर देती है चिन्गारी भी
जवाब देंहटाएंराख के ढेर तले आग पुरानी ही लगे
बहुत खूब शारदा जी - अच्छी प्रस्तुति
सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
ये लाइन बहुत अच्छी लगी.....
जवाब देंहटाएंवक्त के हाथ हैं तुरुप के मोहरे
पत्तों की बाज़ी भी आसमानी ही लगे
भस्म कर देती है चिन्गारी भी
राख के ढेर तले आग पुरानी ही लगे
...आभार
ये दिल पुराने जख्म से बेजार तडपे
जवाब देंहटाएंज्यों राख के नीचे दबे अंगार तडपे
बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई\
वक्त के हाथ हैं तुरुप के मोहरे
जवाब देंहटाएंपत्तों की बाज़ी भी आसमानी ही लगे
~~~~~~क्या बात है!बहुत खूब!
बहुत ही उम्दा! वाह.
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