रविवार, 3 मार्च 2013

बुझ-बुझ के जले


वो दिओं सी जलती आँखें , करें इन्तिज़ार किसी का 
कौन जाने बुझ-बुझ के जले , जिया बेकरार किसी का 

हाले-दिल किस को सुनाएँ 
क्यूँ दिल है सोगवार किसी का 

रँग चाहत के भर तो लेते हम भी 
हासिल न हुआ इकरार किसी का 

हाथ लगते ही बहार आ जाती 
तमन्नाओं ये नहीं रोज़गार किसी का 

नरगिसी बातों में फिसल तो जाते हैं 
चमन में क्या है ऐतबार किसी का 

वो दिओं सी जलती आँखें , करें इन्तिज़ार किसी का 
कौन जाने बुझ-बुझ के जला है जिया बेकरार किसी का 

19 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार सौतेली माँ की ही बुराई :सौतेले बाप का जिक्र नहीं आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ .

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Behtreen Gazal....

बेनामी ने कहा…

bahut hi sunder..excellent maam.
हाथ लगते ही बहार आ जाती
तमन्नाओं ये नहीं रोज़गार किसी का

.
these lines steal the show.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वाह....!
बहुत बढ़िया...!
आपकी इस पोस्ट का लिंक आज सोमवार के चर्चा मंच पर भी है।

devendra gautam ने कहा…

बहुत खूब!

www.weavesite.net ने कहा…

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धन्यवाद
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Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल.

Dinesh pareek ने कहा…

बहुत खूब सुन्दर लाजबाब अभिव्यक्ति।।।।।।

मेरी नई रचना
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?

ये कैसी मोहब्बत है

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन गजल...
:-)

travel ufo ने कहा…

अच्छे शब्दो के मनको से बनी माला

शारदा अरोरा ने कहा…

रचना पसंद करने का शुक्रिया
शारदा अरोरा

शारदा अरोरा ने कहा…

आप सब को रचना पसंद करने का बहुत बहुत शुक्रिया
शारदा अरोरा

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है|

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह!!!बहुत सुन्दर गजल ,,, बधाई शारदा जी,,,,

Recent post: रंग,

दिगम्बर नासवा ने कहा…

रँग चाहत के भर तो लेते हम भी
हासिल न हुआ इकरार किसी का ..
बहुत खूब ... बस एक इकरार ही तो चाहिए ... ये रंग भर जाते हैं ...

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत खूब...

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

बहुत सुन्दर गजल

दिल की आवाज़ ने कहा…

बेहतरीन ग़ज़ल शारदा जी ...

अंजना ने कहा…

nice